अयोध्या : 28 साल बाद कुबेरेश्वर महादेव का वनवास होगा पूरा
देवाधिदेव महादेव के आराध्य प्रभु राम को 14 वर्ष वनवास में रहना पड़ा था लेकिन रामजन्मभूमि परिसर में स्थित कुबेर टीला पर विराजमान कुबेरेश्वर महादेव को वनवास भुगते 28 साल हो गए। शायद अब उनके वनवास खत्म होने का समय आ गया है। यही कारण है कि राम मंदिर निर्माण की शुरू हुई प्रक्रिया के बीच रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से कुबेर टीला के निकट स्थित शेषावतार मंदिर पर अनुष्ठान शुरू कराया गया है। इस अनुष्ठान के मध्य दस जून को कुबेरेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया जाएगा। इसकी पुष्टि ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास ने की।
मालूम हो कि 11 मई से शुरू हुए समतलीकरण के दौरान प्राचीन भग्नावशेष प्राप्त हुए थे। इन अवशेषों में मंदिर के शिलाखंडों के साथ साढ़े फिट व्यास का शिवलिंग भी प्राप्त हुआ था। इस शिवलिंग के मिलने के बाद ही ट्रस्ट के पदाधिकारियों का ध्यान कुबेरेश्वर महादेव की ओर गया तो उन्होंने वहां जाकर पड़ताल की। इस पड़ताल में आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया।
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का दावा है कि समतलीकरण में प्राप्त शिवलिंग एवं कुबेर टीला पर प्रतिष्ठित शिवलिंग हूबहू एक तरह के हैं। इसके बाद ही ट्रस्ट के पदाधिकारियों को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने प्रायश्चित करते हुए कुबेर टीला के निकट शेषावतार मंदिर में अनुष्ठान शुरू कराया। यह अनुष्ठान कारसेवकपुरम स्थित श्रीराम वेद विद्यालय के प्राचार्य पं. इन्द्रदेव मिश्र के नेतृत्व में किया जा रहा है।
सात जनवरी, 1993 को रामजन्मभूमि परिसर के अधिग्रहण के पहले क्षेत्रीय नागरिक कुबेर टीला पर आराध्य का अभिषेक पूजन करते थे। इसके साथ ही महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान भोलेनाथ की भव्य बारात निकाली जाती थी और मेला लगता था। अधिग्रहण के बाद भी अभिषेक पूजन भले बंद हो गया लेकिन महाशिवरात्रि पर बारात की परम्परा कायम रही। यह सिलसिला पांच जुलाई, 2005 को रामजन्मभूमि परिसर में आतंकवादी हमले की घटना के पहले तक चलता रहा लेकिन पुन: प्रशासनिक प्रतिबंधों ने ब्रेक लगा दिया।
परिसर में बरकरार रहेगा कुबेर टीला का अस्तित्व: रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण के साथ कुबेर टीला के अस्तित्व को भी संरक्षित रखने का निर्णय लिया गया है। हालांकि यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) का संरक्षित स्मारक है लेकिन एएसआई के प्रावधानों के अन्तर्गत संरक्षित स्मारक के सौ मीटर की परिधि में कोई निर्माण नहीं हो सकता। इसके लिए कुबेर टीला को संरक्षित स्मारक की सूची से बाहर करने का प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से भेजा गया है। फिर भी परिसर में टीले का सौन्दर्यीकरण कराया जाएगा।