किसी एक ही बटालियन में इतनी अधिक संख्या में कर्मियों के संक्रमित पाए जाने से अर्द्धसैन्य बल में चिंता पैदा हो गई है। इस बटालियन में एक हजार से अधिक जवान हैं। सीआरपीएफ ने सामान्य आदेश जारी किया था कि छुट्टी से लौटने वाले या कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले किसी भी जवान को 14 दिनों के लिए अनिवार्य रूप से क्वारंटाइन रहना होगा। अधिकारियों ने बताया कि हाल ही में यह बात सामने आई कि अर्धसैनिक बल की चिकित्सा शाखा ने अप्रैल में एक अलग आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जिस कर्मचारी में इस महामारी के लक्षण नहीं दिख रहे हैं, वे पांच दिनों के क्वारंटाइन के बाद काम पर लौट सकते हैं।
अधिकारियों ने संकेत दिया कि इस यूनिट में कोविड-19 संक्रमण का प्राथमिक स्रोत वह कांस्टेबल (नर्सिंग सहायक) हो सकता है जो एनसीआर में अपने घर छुट्टी बिताने के बाद काम पर इस यूनिट में लौटा था। यह जवान जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सीआरपीएफ की एक अन्य बटालियन में तैनात है और यह अभी साफ नहीं है कि वह कैसे संक्रमण की चपेट में आया। इस जवान के परिवार के सदस्य संक्रमित नहीं पाए गए। 31वीं बटालियन के कुछ अन्य बिना लक्षण वाले कर्मी भी यूनिट में संक्रमण का प्राथमिक स्रोत हो सकते हैं।अर्द्धसैन्य बल सभी पहलुओं की जांच कर रहा है। साथ ही वह इस दावे की भी जांच कर रहा है कि नर्सिंग सहायक को बटालियन के शिविर में पृथक रखते समय सख्त नियमों का पालन नहीं किया गया जिससे संक्रमण फैला।