दिल्ली से पलायन के पीछे षडयंत्र !
नई दिल्ली। ( मनोज वर्मा )कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन है लेकिन दिल्ली से हुए लाखों लोगों के पलायन ने राज्य के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार को कटघरे में खडा कर दिया है। केजरीवाल सरकार की कार्यशैली को लेकर कई सवाल उठ खडे हुए हैं। सबसे बडा सवाल तो यह कि दिल्ली से अचानक रातों रात लाखों लोगों के पलायन के पीछे क्या कोई षडयंत्र था ? क्या केजरीवाल सरकार ने जानबूझ कर पलायन की स्थिति पैदा की ? क्या कोरोना वायरस को संक्रमण से बचाने के लिए बनाई गई रणनीति को विफल करने की कोई चाल थी ? क्या दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने यूूपी बिहार के गरीब मजदूर को खाना मुहैया नहीं कराया ? यह अफवाह क्यों फैलाई गई कि जिसे उत्तर प्रदेश बिहार जाना है वह चला जाए आनंद बिहार बस अडुे पर बसों की व्यवस्था की गई। दिल्ली में डीटीसी बसों से लोगों को आंनद बिहार बस अडडे पर क्यों छुडवाया गया ? यह सवाल उनके बीच से उभर रहे हैं जिन्हें दिल्ली छोडने के लिए कहा गया या मजबूर किया गया। यह सवाल उस केजरीवाल सरकार से हैं जो अभी कुछ दिन पहले ही मुफ्त बिजली—पानी का वायदा कर दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीती थी। लेकिन कोरोना संकट के समय दिल्ली में जो हालात पैदा हुए हैं उसने केजरीवाल सरकार की छवि एक अमानवीय और असंवेदनशील सरकार की बना दी है।
केजरीवाल सरकार को बर्खास्त कर ने की मांग, राघव चड्ढा पर एफआईआर
कई विडियो जारी खुली केजरीवाल सरकार की पोल
भाजपा नेता और पूर्व विधयाक कपिल मिश्रा ने कई विडियो जारी कर केजरीवाल सरकार की पोल खोली है। एक वीडियो में दिख रहा है कि दिल्ली की गलियों में माइक से अनाउंसमेंट किए जा रहे हैं। इस अनाउंसमेंट में कहा जा रहा है कि आनंद विहार के लिए बसें जा रही हैं, उससे आगे यूपी-बिहार के लिए बसें मिलेंगी। सोते हुए लोगों को उठा-उठा कर बसों से उप्र बॉर्डर पर भेजा गया। कपिल मिश्रा ने इसे सोची-समझी साजिश करार दिया। इसी के साथ उन्होंने केजरीवाल को डीटीसी बसें बन्द करने, झूठी प्रेस कॉन्फ्रेंस और विज्ञापन बन्द करने के साथ ही बेसिक सुविधाओं को मैनेज करने की सलाह देते हुए कहा कि लोगों को खाना, राशन सच में बँटवाएँ।वहीं दूसरी ओर पत्रकार आशुतोष ने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए हुए ट्वीट किया, “क्या आपने आनंद विहार पर दिल्ली सरकार के किसी नुमाइंदे को देखा? कहाँ है दिल्ली के मुख्यमंत्री? ये सारे वही लोग वहाँ इकट्ठा हैं, जिन्होंने एक महीना पहले केजरीवाल को वोट दिया। आज ये अपने को अनाथ महसूस कर रहे हैं! ये पार्टी कहती है कि ये आम आदमी की बात करती है।” तो भाजपा सांसद सांसद प्रवेश वर्मा ने भी सीएम पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 22 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि 31मार्च तक दिल्ली के बॉर्डर सील रहेंगे। किसने अफवाह फैलाई और कौन बसें भर-भर के लोगों को बॉर्डर पर छुड़वा रहा है? दिल्ली में अलग ही आपातकालीन स्थिति उत्पन्न कर करोड़ों लोगों की ज़िन्दगियों से खेलने का क्या मतलब है?
केजरीवाल सरकार की बिहार सरकार के मंत्रियों ने की आलोचना
केजरीवाल सरकार के रवैये की बिहार की नीतीश कुमार सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रियों ने आलोचना भी की है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी बयान में दिल्ली सरकार पर लोगों के साथ लॉकडाउन के दौरान किए गए व्यवहार पर आपत्ति जताई है। इसमें कहा गया है कि लोगों को ना ही दूध और न ही बिजली-पानी उपलब्ध करवाया गया। यही नहीं, उन्हें डीटीसी बसों पर बिठाकर बॉर्डर तक इस आश्वासन के साथ भेज दिया गया कि वहाँ उनके घर जाने का प्रबंध किया गया है। हालात देखते हुए यूपी सरकार ने कानपुर, बलिया, बनारस, गोरखपुर, आजमगढ़, फैजाबाद, बस्ती, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, गोंडा, इटावा, बहराइच, श्रावस्ती सहित कई जिलों की बसें यात्रियों को बैठाकर भेजी।बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह ने दिल्ली से पूर्वांचलवासियों के पलायन के लिए दिल्ली सरकार पर आरोप लगाए हैं।बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी पलायन को लॉक डाउन को फेल करने की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा, सवाल यह कि क्या बिहार और उत्तर प्रदेश यानि पूर्वांचलवासियों को उपयोग अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ वोट के लिए किया, जब संकट की घड़ी आई तो पराई हो गई दिल्ली सरकार? संजय झा ने स्पष्ट कहा कि पूरे प्लान के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए लॉकडाउन को फेल करने की साजिश रची गई है। बिहार सरकार के मंत्री जय कुमार सिंह ने दिल्ली के केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया है कि दिल्ली में लॉकडाउन के बावजूद बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों के पलायन के लिए दिल्ली सरकार दोषी है। जय कुमार सिंह का कहना है कि उनके इलाके के कई लोगों ने दिल्ली से उन्हें फोन करके बताया है कि उनके घर के पानी और बिजली के कनेक्शन काट दिए गए है लिहाजा अब दिल्ली में उनका रुकना संभव नहीं हैं क्योंकि पैसे और खाने का सामान भी खत्म हो चुका है। दिल्ली सरकार की लापरवाही और गैर-जिम्मेदाराना रवैये की वजह से लोग पलायन को मजबूर हुए।
