-छात्र अपनी मर्जी और स्वेच्छा के आधार पर विषय का चयन कर सकेंगे. अगर कोई छात्र विज्ञान के साथ संगीत भी पढ़ना चाहे, तो उसे ये विकल्प होगा. वोकेशनल पाठ्यक्रम कक्षा छठी से शुरू हो जाएंगे.
-बोर्ड परीक्षा को ज्ञान आधारित बनाया जाएगा और उसमें रटकर याद करने की आदतों को कम से कम किया जाएगा.
-बच्चा जब स्कूल से निकलेगा, तो ये तय किया जाएगा कि वो कोई ना कोई स्किल लेकर बाहर निकले.
-बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा. अब तक रिपोर्ट कार्ड केवल अध्यापक लिखता है. लेकिन नई शिक्षा नीति में तीन हिस्से होंगे. पहला बच्चा अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन करेगा, दूसरा उसके सहपाठियों से होगा और तीसरा अध्यापक के जरिए.
-ग्रेजुएट कोर्स में अब 1 साल पर सर्टिफिकेट, 2 साल पर डिप्लोमा, 3 साल पर डिग्री मिलेगी.अब कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल दोनों की होगी. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है.
-हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. उनके लिए MA एक साल में करने का प्रावधान होगा.
-अब छात्रों को MPHIL नहीं करना होगा. MA के छात्र अब सीधे PHD कर सकेंगे.
-नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है. राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी.