नए संसद भवन का आकार तिकोना क्यों है?
भारत के नए संसद भवन की शुरुआती तस्वीर सामने आ गई है। टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के तहत बनने वाले इस नए भवन का शिलान्यास 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने जा रहे हैं। बता दें कि इस नए संसद भवन के इमारत की शैली त्रिभुजाकार होगी। अपने आकार की वजह से ये इमारत काफी चर्चा में भी है।
नए संसद भवन को वास्तु के अलावा हर लिहाज से सुंदर बनाने की कोशिश की गई है। वास्तुविदों ने इस नए भवन को बनाने के लिए कई देशों की संसद का निरीक्षण कर उनसे प्रेरणा ली। इस भवन का तिकोना आकार भी वास्तु के हिसाब से तय किया गया है। भारत की संस्कृति में त्रिभुज का काफी महत्व है। इसका जिक्र वैदिक संस्कृति में भी मिलता है, जिसे त्रिकोण कहा जाता है। कई तरह के तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान भी त्रिकोण आकृति बनाई जाती है। मान्यता है कि इस आकृति से ही अनुष्ठान पूरा हो पाता है।
कुल मिलाकर देश में नए संसद भवन का निर्माण वैदिक तरीके से होगा, ताकि देश की उन्नति में इमारत सहायक हो सके। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि करोड़ों की लागत से बनने वाली संसद की ये नई इमारत सालभर में पुरी हो जाएगी। इस नए भवन के निर्माण में करीब 2,000 लोग सीधे तौर पर शामिल होंगे, वहीं 9,000 लोगों की भागीदारी परोक्ष होगी।
पुराने संसद भवन के ही बराबर में बनने वाले नए भवन के निर्माण की बोली पिछले महीने टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने 861.90 करोड़ रुपये में जीती थी। सचिवालय के अधिकारियों के मुताबिक, नए संसद भवन में एक ग्रांड संविधान हॉल भी बनाया जाएगा, जिसमें भारतीय सविधान की मूल प्रति के अलावा अन्य भारतीय लोकतांत्रिक विरासतों को प्रदर्शित किया जाएगा। इसके अलावा सांसदों के लिए लाउंज, पुस्तकालय, विभिन्न समितियों के कक्ष, खानपान कक्ष और पर्याप्त पार्किंग स्थल भी नए संसद भवन परिसर का हिस्सा होंगे।हालांकि, नए संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा होने तक वर्तमान भवन में ही संसदीय सत्र आयोजित किए जाएंगे और इन सत्रों में निर्माण कार्य के कारण खलल पैदा नहीं होने की बात भी सुनिश्चित की जाएगी।
संसद का नया भवन आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि का मूलभूत अंग
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को कहा कि संसद का नया भवन आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि का मूलभूत अंग होगा और आजादी के बाद पहली बार इसे जनता की संसद बनाने का ऐतिहासिक मौका होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को संसद के नये भवन की आधारशिला रखेंगे।
पीएमओ के मुताबिक, संसद का नया भवन 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर नये भारत की जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुरूप होगा। वर्तमान संसद भवन के निकट बनने वाला नया संसद भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस तथा ऊर्जा के दक्ष उपयोग और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने वाला होगा। त्रिकोणात्मक आकार का नया संसद भवन सुरक्षा की दृष्टि से भी अभेद होगा।
पीएमओं के अनुसार लोकसभा का आकार वर्तमान लोकसभा से तीन गुना बड़ा होगा और राज्यसभ भी वर्तमान उच्च सदन से बड़ी होगी। उसके मुताबिक नये भवन की आंतरिक साज सज्जा भारतीय संस्कृति के साथ क्षेत्रीय कला, शिल्प और स्थापत्यकला का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करेगी। भवन निर्माण योजना के अनुसार नये संसद भवन में एक विशाल संविधान कक्ष होगा, जिसमें भारत की लोकतांत्रिक धरोहर को प्रदर्शित किया जाएगा। संसद की नयी इमारत भूकंप रोधी क्षमता वाली होगी
नये संसद भवन के शिलान्यास समारोह में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह और कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित रहेंगे। इनके अलावा 200 गणमान्य लोग, सांसद, राजदूत और उच्चायुक्त भी इस समारोह में शिरकत करेंगे। संसद का मौजूदा भवन ब्रिटिशकालीन है जो एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया था। दोनों ने ही नयी दिल्ली क्षेत्र की योजना और निर्माण की जिम्मेदारी निभाई् थी। वर्तमान संसद भवन की आधारशिला 12 फरवरी, 1921 को रखी गई थी और इसके निर्माण में छह वर्ष का समय लगा था तथा उस वक्त 83 लाख रुपये की लागत आई थी। इस भवन का उद्घाटन 18 जनवरी, 1927 को तत्कालीन गवर्नर-जनरल लॉर्ड इरविन ने किया था।गत सितंबर महीने में 861.90 करोड़ रुपये की लागत से नए संसद भवन के निर्माण का ठेका टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला था। यह नया भवन ‘सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत है और इसे वर्तमान संसद भवन के नजदीक बनाया जाएगा।