साधुओं की हत्या और अब सरपंच को मिल रहीं धमकियां
पालघर: पालघर में पिछले दिनों तीन साधुओं समेत तीन लोगों की हत्या के मामले में ZEE NEWS ने बड़ा खुलासा किया है. महाराष्ट्र में पालघर के जिस गांव गढ़चिंचले गांव में इन साधुओं की मॉब लिंचिंग की गई, वहां की सरपंच ने आंखों देखी घटना बताई. यहां की सरपंच चित्रा चौधरी ने उस रात की पूरी घटना के बारे में ZEE NEWS को बताया. चित्रा चौधरी ने बताया कि उन्हें 16 अप्रैल की शाम तकरीबन 8:30 बजे पता चला कि चेकपोस्ट पर गाड़ी रोकी गई है. अगले 15 मिनट में (तकरीबन 8:45 पर) वो अपने घर से गाड़ी तक पहुंची. गाड़ी का शीशा बंद था, साधु बाबा ने उन्हें हाथ जोड़कर नमन किया. इन्होंने उनसे पूछा कौन है, कहां जाना है तब तक भीड़ ने गाड़ी के टायर की हवा निकाल दी और गाड़ी पलट दी. पुलिस के आने तक अगले दो तीन घंटे (तकरीबन 11:00-11:15pm) तक उन्होंने भीड़ को काफी समझाने की कोशिश की. कुछ हद तक वो भीड़ को काफी समय तक काबू में रख पाई थीं. लेकिन भीड़ ने उन पर भी नाराज़गी जताई. पुलिस दो लोगों को अपनी गाड़ी में बिठा चुकी थी और बूढ़े बाबा पुलिस का हाथ थामकर जब फॉरेस्ट की चौकी से बाहर निकले तब हुए हमले में मुझे भी चोट आई और अपनी जान बचाकर किसी तरह भागकर घर पहुंची. जब सुपरिटेंडेंट साहब पहुंचे तब (तकरीबन रात 12 बजे) मैं दोबारा नीचे गई तब मैंने तीनों की लाशें वहां देखीं.(इस बारे में पुलिस ने बताया था कि उन्हें घटना की जानकारी 9:30 से 9:45 के बीच मिली और वे तकरीबन 11 बजे घटनास्थल पहुंचे थे.)
इसके बाद सरपंच ने कहा कि भीड़ जमा हो गई… काशीनाथ आया… काशीनाथ आया (एनसीपी का नेता)..ऐसे चिल्लाने लगे और सीटी बजाने लगे. और भीड़ जमा हो गई और मुझे भी ढूंढ रहे थे कि सरपंच ताई कहां गई, सरपंच ताई कहां गई. जब भीड़ गाड़ी के शीशे पर पत्थर मार रही थी तब मैं भी अपनी जान बचाने के लिए किसी तरह वहां से निकल कर घर आ गई. इसके बाद वहां कैसी तोड़फोड़ हुई और मर्डर हुआ वो मैंने नहीं देखा. उस वक़्त वहां काशीनाथ चौधरी था और पुलिस वाले थे. पुलिस की हिरासत में देने और पुलिस की गाड़ी में पीड़ितों के बैठ जाने के बाद मेरी ज़िम्मेदारी तो खत्म हो गई थी ना. पुलिस वालों को उनका कर्तव्य निभाना चाहिए था. जब तक मेरी कैपेसिटी थी मैंने भीड़ को 3 घंटे कंट्रोल किया था. अकेली औरत ने इतनी भीड़ को कंट्रोल में रखा था और उन लोगों को कुछ नहीं होने दिया.सरपंच ने कहा-साहब, इतना तो मैंने नहीं देखा. काशीनाथ चौधरी जब आया तब काफी लोगों ने सीटियां बजाईं, और चिल्लाने लगे – चौधरी आया, चौधरी आया, अपना दादा (भाई) आया, अपना दादा आया और ऐसे भीड़ जमा हुई. जब उस साधु को खींच कर (गाड़ी से बाहर) निकाल रहे थे तब कुछ लोग मेरे नाम से भी चिल्ला रहे थे कि वो सरपंच ताई कहां गई, उन्हें भी लेकर आओ. जब तक उनको पीछे से मारा होगा तब तक मैं अपनी जान बचाकर भागी.
हत्या के बाद जहां एक तरफ इस गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है, वहीं गांव की महिला सरपंच चित्रा चौधरी ने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की मांग की है।उन्होंने कहा, ‘मैं संतों की पिटाई का विरोध करती रही, जिसके कारण वहां जमा लोग भड़क गए और मुझ पर हमला करने की कोशिश करने लगे। मैं किसी तरह अपनी जान बचाकर घर के अंदर भागी। जिसके बाद मेरे घर पर पत्थर भी फेंके गए। अब मुझे और मेरे परिवार को मारने की धमकी मिल रही है। इसलिए मुझे और मेरे परिवार को पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए।’
पालघर में ड्रोन से तलाशी अभियान शुरू
पुलिस मामले में अभी सैकड़ों लोगों की तलाश कर रही है लेकिन इलाका घने जंगलों वाला होने के कारण पुलिस को इस तलाशी अभियान में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब पुलिस ने ड्रोन की मदद से तलाशी अभियान शुरू किया है। पुलिस को शक है कि आरोपी ग्रामीण जंगल मे छिप गए हैं।