विजयाराजे से ज्योतिरादित्य तक
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बगावती तेवर ने उनकी दादी की याद दिला दी जो चाहती थीं कि पूरा परिवार बीजेपी में रहे।आइए जानते हैं चार पुत्रियों और इकलौते पुत्र माधवराव के सिंधिया परिवार की पूरी कहानी…
विजया राजे सिंधिया
माधव राव सिंधिया
वसुंधरा राजे सिंधिया
यशोधरा राजे सिंधिया
वसुंधरा राजे सिंधिया की बहन यशोधरा 1977 में अमेरिका चली गईं। उनके तीन बच्चे हैं लेकिन राजनीति में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। 1994 में जब यशोधरा भारत लौटीं तो उन्होंने मां की इच्छा के मुताबिक, बीजेपी जॉइन की और 1998 में बीजेपी के ही टिकट पर चुनाव लड़ा। पांच बार विधायक रह चुकी यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री भी रही हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
2001 में एक हादसे में माधवराव सिंधिया की मौत हो गई तो ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की विरासत संभालते रहे और कांग्रेस के मजबूत नेता बने रहे। गुना सीट पर उपचुनाव हुए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया सांसद चुने गए। 2002 में पहली जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया कभी चुनाव नहीं हारे थे लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें करारा झटका लगा। कभी उनके ही सहयोगी रहे कृष्ण पाल सिंह यादव ने ही सिंधिया को हरा दिया।
दुष्यंत सिंह
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत भी बीजेपी में ही हैं। वह अभी राजस्थान की झालवाड़ सीट से सांसद हैं।
पद्मा राजे सिंधिया
पद्मा राजे सिंधिया जिवाजी राव और विजयाराजे सिंधिया की पहली संतान थीं। पद्मा का निधन पिता जिवाजी राव के निधन के तीन साल बाद ही हो गया। जिवाजी राव ने 1961 में जबकि पद्मा ने 1964 में अंतिम सांस ली।
उषा राजे सिंधिया
जिवाजी राव और विजयाराजे की दूसरी पुत्री उषा राजे सिंधिया राजनीति से दूर रहीं। उन्होंने नेपाल के शमशेर जंग बहादुर राणा से विवाह किया।